वैज्ञानिकों ने की सदी की सबसे बड़ी खोज
इंसानी सभ्यता के इतिहास का सबसे बड़ा
आविष्कार अब बिना वायर के इलेक्ट्रिक
गाड़ियां होंगी चार्ज जलेंगे बल्ब चलेगा
एयर कंडीशनर वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी बदलेगी
इंसानी भविष्य, सूरज देगा डायरेक्ट बिजली
होगा चमत्कार दोस्तों विज्ञान की गलियों
से एक ऐसी खबर निकल कर आ रही है जो इंसानी
जीवन को बदल कर रख देगी एक ऐसा आविष्कार
जिसकी हमने परीकथाओं में भी कल्पना नहीं
की थी एक ऐसी टेक्नोलॉजी जिसकी बात निकोला
टेस्ला ने चिल्ला चिल्लाकर दुनिया के
सामने रखी थी लेकिन उस वक्त उन्हें लोग
पागल समझते थे लेकिन जब वैज्ञानिकों ने इस
प्रोजेक्ट पर काम किया तो जो रिजल्ट्स आए
वह हैरान कर देने वाले हैं जी हां
वैज्ञानिकों ने एक ऐसी टेक्नोलॉजी डेवलप
कर दी है जो सीधा सूरज के पास जाकर उसकी
ऊर्जा सोख लेगी और उसे धरती पर भेजकर
इंसानों में फ्री इलेक्ट्रिसिटी बांटे,
ऐसी वायरलेस बिजली जिससे ना तो प्रदूषण
होगा और ना वह कभी खत्म होगी तो कैसे
काम करेगी वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी की यह
टेक्नोलॉजी और वैज्ञानिक कब इसके जरिए आम
इंसानों को फ्री बिजली मुहैया करवाएंगे
जानने के लिए बने रहिए।
सोचिए जब आप सुबह सोकर उठे और बाहर
जाएं तो आपकी आंखों के सामने कोई बिजली का
खंबा ना हो कोई तार ना हो चाहे कितनी भी
बारिश हो लेकिन कभी आपके घर रोशन होना बंद
ना हो इलेक्ट्रिक गाड़ियां सड़कों पर चलते
हुए ही चार्ज हो जाएं वाकई में ऐसा जीवन
हमें फ्यूचरिस्टिक दुनिया का एहसास दिलवाता
है हो सकता है कि आप में से कुछ लोगों को
यह महज विज्ञान की काल्पनिक कथाओं जैसा
लगे लेकिन असल में वो दौर हकीकत बन सकता
है और वैज्ञानिकों ने इसके लिए तकनीक भी
खोज निकाली है जो डायरेक्ट सूरज से रोशनी
लेकर हमारे घरों को रोशन करेगी और इसके
लिए आपको अपने घर की छत पर सोलर पैनल
लगाने की भी जरूरत नहीं होगी आप इस
टेक्नोलॉजी को काल्पनिक कहकर सवाल खड़े
करें उससे पहले जरा ध्यान से सुनिए जिस
तरीके से एक वक्त था जब हम सोचा करते थे
कि बिना तार का टेलीफोन हो ही नहीं सकता
लेकिन आज हमारे हाथ में मोबाइल फोन है एक
वक्त था जब हम सोचते थे कि बिना तार का
इंटरनेट हो ही नहीं सकता लेकिन आज हम
वायरलेस वीडियोस देख रहे हैं डिफरेंट
फ्रीक्वेंसी से एनर्जी ट्रांसफर की फील्ड
में आज हम इतना आगे बढ़ चुके हैं कि डाटा
ट्रांसफर वायरलेस होता है वायरलेस
टेक्नोलॉजी से चार्ज होने वाले मोबाइल फोन
और लैपटॉप मार्केट में लॉन्च हो चुके हैं
वैज्ञानिकों ने एक्सपेरिमेंट में बिना तार
के एलईडी भी जलाकर दिखा दी है और तो और
मार्केट में ऐसे ड्रोन भी आ चुके हैं जो
टावर की रेंज में रहकर वायरलेस टेक्नोलॉजी
से उड़ते हुए ही चार्ज हो जाते हैं यानी
आने वाले कुछ सालों में यह टेक्नोलॉजी
मार्केट में लोकप्रिय हो जाएगी तो हमें
बार-बार ड्रोन कैमरा की बैटरी बदलने की
जरूरत नहीं पड़ेगी बस मजे से ड्रोन उड़ाते
रहो और वह अपने आप चार्ज हो जाएगा
हालांकि दोस्तों इन सभी आविष्कारों में
बिजली सप्लाई करने वाले वायरलेस चार्जर्स
का खुद एसी या डीसी से कनेक्टेड होना
जरूरी है लेकिन अब वैज्ञानिकों ने एकदम
आगे बढ़ते हुए ऐसी टेक्नोलॉजी खोज निकाली
है जो सीधा अंतरिक्ष से हमारे घरों में
बिजली भेजेगी मगर कैसे आइए समझते हैं तो
इसके लिए ऐसे रोबोट्स बनाए जाएंगे जो
अंतरिक्ष में पृथ्वी के चारों तरफ विशाल
सोलर पैनल्स का एक बड़ा सा जाल बिछा देंगे
यह सोलर पैनल्स हमारे घरों की छतों पर
लगे पैनल्स की तरह ही सौर ऊर्जा को कैप्चर
करके उसमें से बिजली बनाएंगे लेकिन वह
बिजली धरती पर पहुंचेगी कैसे तो यही काम
आती है वो वायरलेस ट्रांसमिशन टेक्नोलॉजी
जिसकी मदद से रोबोट्स इस इलेक्ट्रिसिटी को
माइक्रोवेव्स में बदलेंगे और सीधा धरती पर
भेज देंगे इन माइक्रोवेव्स को सहेजने के
लिए एक बड़े इलाके में एंटीनास का जाल
बिछाया जाएगा अंतरिक्ष से रोबो स्पेस
क्राफ्ट इन माइक्रोवेव्स को उनकी एंटीनास
पर कंसंट्रेट करेंगे और ये एंटेना
माइक्रोवेव्स को अब्जॉर्ब करके उन्हें
हमारे घरों तक पहुंचा देंगी वो भी वायरलेसली
जिससे बल्व पंखा टीवी फ्रिज एयर
कंडीशनर और इलेक्ट्रिक गाड़ी जैसे सभी
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज को पावर मिलेगी और
वो वायरलेस चार्ज होंगे जिसके लिए एक
स्पेशल फ्लेक्सिबल लाइट वेट मटेरियल का
इलेक्ट्रॉनिक चिपसेट बनाया जा रहा है जिसे
आगे चलकर सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में
लगा दिया जाएगा इस टेक्नोलॉजी को लेकर
यूरोपियन स्पेस एजेंसी में इस टेक्नोलॉजी
के प्रोजेक्ट लीडर संजय विजेंद्रन ने बताते
हैं कि यह कोई साइंस फिक्शन नहीं है यह
कोई हवा-हवाई बात नहीं है छोटे स्तर पर
ऐसा करने की तैयारी हो चुकी है और
एक्सपेरिमेंट में सफल हुए हैं हालांकि
इसमें एक चुनौती है सोलर पावर को उतने
बड़े पैमाने पर अब्जॉर्ब करना और बदलकर
धरती पर भेजना जिसमें थोड़ा समय लग सकता
है वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट का नाम
स्पेस बेस्ड सोलर पावर प्रोजेक्ट रखा है
जो धरती पर फ्री क्लीन और ग्रीन
इलेक्ट्रिसिटी पहुंचाएगा लेकिन अब आपके
दिमाग में सवाल आ सकता है कि अगर सोलर
एनर्जी का इस्तेमाल करना है तो हम थार
रेगिस्तान जैसी बंजर जमीन पर सोलर पैनल का
बड़ा सा बेस क्यों ना बना लें तो देखिए
सोलर पैनल अंतरिक्ष में सूरज से
डायरेक्टली सौरऊर्जा अवशोषित करेंगे
क्योंकि वहां ना मौसम में बदलाव होगा ना
बादल होंगे ना रात होगी ना दिन होगा सिर्फ
अनंत ब्रह्मांड अनंत अंतरिक्ष और
उसके ऊपर सोलर पैनल्स जिससे सूरज की रोशनी
आठ गुना ज्यादा अब्जॉर्ब होगी तो
एफिशिएंसी काफी ज्यादा बढ़ जाएगी वहीं
धरती पर रात को सोलर पैनल की एफिशिएंसी ना
के बराबर हो जाती है बारिश में यह कमजोर
पड़ जाते हैं ज्यादा घने बादल हो तो सूरज
की रोशनी अच्छे से धरती पर नहीं आ पाती
वहीं पृथ्वी का वातावरण उसकी तीव्रता को
काफी कम कर देता है जो हम इंसानों के लिए
तो काफी लाभदायक स्थिति है क्योंकि यह सब
ना होता तो सूरज की रोशनी से पूरी पृथ्वी
ही जलकर राख हो जाती जैसा हाल बुद्ध और
शुक्र ग्रह का है लेकिन सोलर पैनल्स के
लिए यह उतना सही माहौल नहीं है और उन्हें
जब हम अंतरिक्ष में बिछाएंगे तो उनकी
कैपेसिटी कई गुना बढ़ जाएगी जैसे कि
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर लगे सोलर
पैनल्स ही इतने बड़े अंतरिक्ष यान को
सालों से एनर्जी प्रोवाइड कर रहे हैं अगर
हम इस स्पेस सोलर सिस्टम का इस्तेमाल
करेंगे तो इंसानों को कितने फायदे होंगे
उसकी बात भी कर लेते हैं तो यह कंप्लीट
ग्रीन एनर्जी होगी इसमें कोई कोयले का
धुआं नहीं उठेगा कोई फॉसिल फ्यूल नहीं
जलेगा सबसे बड़ी बात यह है कि आप जिन
गाड़ियों में चलेंगे वो ऑटोमेटिक चार्ज
होंगी आप आपके फोन ऑटोमेटिक चार्ज होंगे
और जब बिजली असीमित मात्रा में उपलब्ध
होगी क्योंकि हम तो सीधे सोर्स से ले रहे
हैं यानी आसान शब्दों में आप समझ लीजिए कि
हम हमारे पास कहीं पर भी हो हम कोभीभी
बिजली की कमी महसूस नहीं करेंगे देश के
दूर दराज गांव में भी बिजली आसानी से
पहुंच जाएगी और बिजली के इंफ्रास्ट्रक्चर
पर अरबों रुपए का पैसा भी बचेगा क्योंकि
वायरलेस बिजली होने की वजह से जमीन के
नीचे या खंबो पर मोटी मोटी बिजली के तार
बिछाने की जरूरत नहीं होगी हालांकि
दोस्तों इस तरीके में शुरुआत में काफी
खर्च होगा क्योंकि इतने सारे सोलर पैनल्स
और उन्हें मैनेज करने वाले रोबोटिक शटल को
अंतरिक्ष में भेजना भी तो पड़ेगा ना वहां
भी उनकी डॉकिंग होगी और सोलर पैनल्स का
बड़ा सा जाल बन जाएगा जिसके लिए वैज्ञानिक
ऐसे सेटेलाइट्स बना रहे हैं जिनके अंदर
फोल्ड करके सोलर पैनल डाल दिए जाएंगे जो
अंतरिक्ष में जाने के बाद ओपन होंगे और
बड़ी मात्रा में होंगे एक बहुत बड़ा मिरर
बनाएंगे जो कि सूर्य की रोशनी को अवशोषित
करेंगे इसके बाद जो स्पेस इलेक्ट्रॉनिक
चिप इंटीग्रेटेड सर्किट होंगे वो उन्हें
अब्जॉर्ब करेंगे कन्वर्ट करेंगे और
माइक्रोवेव के माध्यम से धरती पर एंटेना
तथा ट्रांसफर कर देंगे इससे 24सो घंटे 365
दिन यानी हर समय लगातार बिजली पैदा की जा
सकती है वहीं इसे किफायती भी बनाया जा
सकता है क्योंकि अब ऐसे रियूजबल रॉकेट्स
खोज लिए गए हैं जिन्हें बार-बार इस्तेमाल
किया जा सकता है दोस्तों अंतरिक्ष से आने
वाली इस तरह की सोलर पावर ह्यूमन
सिविलाइजेशन की इलेक्ट्रिसिटी नीड यानी
ऊर्जा जरूरतों को पूरा कर देगी और बिजली
के दाम भी ना के बराबर होंगे वहीं कोई देश
चाहे तो वह अपने देशवासियों को फ्री में
भी बिजली दे सकता है क्योंकि एक बार सोलर
पैनल्स को अंतरिक्ष में भेजने के बाद वह
सालों साल चलते रहेंगे और कोई ज्यादा खर्च
नहीं होगा विशेषज्ञ बताते हैं कि जिस तरह
से बिजली के दाम लगातार बढ़ रहे हैं और
क्लाइमेट चेंज का विनाशकारी असर महसूस हो
रहा है उससे पूरी दुनिया पर क्लीन एनर्जी
का एक भरोसे मंद सोर्स खोजने का दबाव काफी
बढ़ गया है और वैज्ञानिकों को इसके लिए
स्पेस स्टेशन प्रोजेक्ट से अच्छा विकल्प
अब तक कोई नहीं मिल पाया है और अगर इस
प्रोजेक्ट का इंप्लीमेंटेशन सक्सेसफुल हो
जाता है तो दुनिया ना सिर्फ प्रदूषण से
बचेगी बल्कि क्लाइमेट चेंज का प्रभाव कम
होने की वजह से बर्फीले ग्लेशियर पिघलना
सुनामी आना भूकंप आना और मुंबई जैसे
किनारे वाले शहर पानी में डूबना जैसी
समस्या कम हो जाएगी यानी एक तीर से 100
निशान लगाने का काम है लेकिन रास्ता बड़ा
है इसमें कुछ दशक भी लग सकते हैं लेकिन
इतिहास में हमें जो काम नामुमकिन लगते थे
वह आज हकीकत हैं फिर चाहे पृथ्वी की कक्षा
में सेटेलाइट्स का बड़ा सा जाल बिछाना हो
या इंसान का चांद पर जाना यह सभी चीजें भी
पहले सिर्फ कल्पना मात्र थी तो आज के लिए
बस इतना ही वायरलेस इलेक्ट्रिसिटी की इस
टेक्नोलॉजी को लेकर आपकी राय क्या है
कमेंट्स में बताइएगा