कैसे चीन की Space Force भारत के लिए बनी Tension ? | How China’s Space Force became India’s tension ?

हर घर में एक रिश्तेदार ऐसा होता है जो हंगामा करता है टाइम टू टाइम टेंशन देता रहता है लेकिन यह टेंशन तब ज्यादा बढ़ जाती है जब वो अचानक से शांत बैठ जाए तो कुछ तो गड़बड़ है दया और आजकल ऐसी ही गड़बड़ हमारे पड़ोस में बैठे चाइना में दिखाई दे रही है जो आए दिन कुछ ना कुछ करता रहता है अमेरिका से लेकर इंडिया तक और कई बार तो पूरी दुनिया की लंका ही लगा देता है कोरोना से लेकर इंटरनेट फोर्स तक हर बार यह कुछ नया लेकर आता है और अब यही रिश्तेदार एक ऐसी फोर्स लेकर आया है कि उसका नाम सुनकर ही लग रहा है कि यार यह क्या बवाल है नहीं यकीन हो रहा है तो आपको बता देता हूं कि इसकी नई फोर्स का नाम है नियर स्पेस फोर्स अब नाम तो सिंपल है माने अगर सीधा-सीधा ट्रांसलेट करेंगे तो बनता है स्पेस माने अंतरिक्ष के पास वाली फोर्स पर मेरे दोस्त ये चाइना है सीधे सीधे इन्हें कुछ भी करने की आदत कहां है तभी तो लोग हैरान और परेशान हो गए हैं कि यार ये फोर्स है।

क्या काम करेगी रहती कहां और सबसे जरूरी चीज अमेरिका और इंडिया को इससे कितना खतरा है और अमेरिका की छोड़ो यह बताओ कि क्या अपने पास इस नियर स्पेस फोर्स का कोई तोड़ है चलिए। मैं आपको सब बताता हूं देखिए तारीख 3 फरवरी साल 2023 और जगह अमेरिका के मोंटाना शहर का इलाका यह वह जगह है जहां पर अमेरिका की न्यूक्लियर मिसाइलों की अंडरग्राउंड फैसिलिटी है

यहां के आसमान में करीब 20 किमी ऊपर एक गुब्बारा देखा गया मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह एक स्पाई बलून था अगले दिन प्रेसिडेंट जो बाइड ने इसे मार गिराने का आर्डर दिया अमेरिकन एयरफोर्स ने इसे f22 रेप्टर एयरक्राफ्ट से अटलांटिक ओशन में मार गिराया यहां तक कि बात नॉर्मल थी लेकिन जब मीडिया में अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि हाल ही के सालों में चीन ने ऐसे दो दर्जन से ज्यादा स्पाई बलून पांच कॉन्टिनेंट्स के 40 से ज्यादा देशों में भेजे हैं

जो हर कोई हैरान रह गया क्योंकि अमेरिका से पहले किसी ने इस बलून पर इतना गौर नहीं किया था और जिन देशों के ऊपर ये स्पाई बलून भेजे गए उनमें इंडिया भी शामिल है फिर इसके बाद जब सब कड़ियां जोड़ी गई तो पता चला कि दया कुछ तो गड़बड़ है और फिर पता चला कि ये गुब्बारे महज संयोग नहीं बल्कि चीन का प्रयोग है चीन की नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी के रिसर्चस ने अपने पेपर में दावा किया है कि चीन ने दुनिया की पहली नियर स्पेस फोर्स बना ली है आर्मी नेवी एयर और रॉकेट के बाद यह चीन की पांचवीं फोर्स है नियर स्पेस फोर्स में ड्रोन स्पाय बलून और हाइपरसोनिक हथियार शामिल है जो जासूसी करने के साथ सटीक और बेरहम हमले भी कर सकते हैं

पर कैसे सबसे पहले थोड़ा नियर स्पेस को हम समझते हैं इसके लिए अब हम खेलेंगे कि क्या आप पांचवी पास से तेज है माने वो स्कूल वाला बेसिक ज्ञान एक बार फिर दोहराएंगे नियर स्पेस क्या है देखो अर्थ के एटमॉस्फियर की पांच लेयर हैं अगर सबसे ऊपर से शुरू करें तो 700 से 10000 किमी तक एक्सो फियर आती है उसके नीचे 80 से 700 किमी तक थर्मोस्फीयर आती है और फिर उसके नीचे 50 से 80 किमी तक आती है मेसो स्फीयर फिर 12 से 50 किमी तक आती है स्ट्रेटोस्फीयर और सरफेस से 12 किमी तक आती है ट्रोपो स्फीयर अब अर्थ के सरफेस से 20 से 100 किमी ऊपर का इलाका नियर स्पेस कहा जाता है 100 किमी पर कार्बन लाइन है

जहां से स्पेस शुरू हो जाता है अब ये जो एरिया है इतना ये बहुत ज्यादा स्पेशल है सबसे पहले तो यहां हवा इतनी पतली होती है कि कमर्शियल एयरक्राफ्ट और जेट नहीं उड़ाए जा सकते लेकिन अपने अर्थ की ग्रेविटी यहां काम करती है जिससे सेटेलाइट्स नहीं टिक सकते माने ये एक ऐसा जोन है जहां पर आप एयरक्राफ्ट उड़ा नहीं सकते और सैटेलाइट टिका नहीं सकते एक तरीके से ये एक एमटी यानी खाली जगह है नियर स्पेस की इसी स्पेशलिटी को चीन अपनी ताकत बना रहा है यहां सोलर ड्रोन बलून को लंबे वक्त तक उड़ा सकते हैं और इससे भी शानदार चीज यह है कि नियर स्पेस में हाइपरसोनिक हथियारों की स्पीड और भी बढ़ जाती है

माने हर तरफ से चांदी ही चांदी अब आपको नियर स्पेस और खासियत समझ में तो आ गई है अब देखते हैं चाइना यह क्यों कर रहा है और यह इतना जरूरी क्यों है 11th चाइना कमांड एंड कंट्रोल कॉन्फ्रेंस में पब्लिश एक पेपर के मुताबिक नियर स्पेस फ्यूचर की लड़ाइयां के नतीजे तय कर सकता है अभी दुनिया में सबसे ताकतवर देशों के बारे में बात की जाती है तो कहीं ना कहीं अमेरिका सबसे ऊपर आता है मैं यह नहीं कह रहा हूं कि रशिया और चाइना पीछे हैं पर यह बात भी सब जानते हैं कि अमेरिका से ये दोनों देश आगे भी नहीं है इसलिए चाइना अब कुछ ऐसा करना चाहता था

जो आज तक किसी ने नहीं किया था और इसलिए चाइना ने दुनिया की सबसे पहले नियर स्पेस फोर्स डेवलप की लेकिन इसे संभालेगा कौन नियर स्पेस कमांड फिलहाल चीनी मिलिट्री की सबसे हाई अथॉरिटी को रिपोर्ट करती है इसके कमांड और कंट्रोल की प्रॉपर लीडरशिप तैयार की जा रही है जिससे इसे ऑपरेट करना और आसान हो जाए पर इसके ऑपरेशंस होंगे क्या-क्या वेल डिफेंस रिसर्चस के मुताबिक चीन तेजी से एक कॉम्बैट फोर्स डेवलप कर रहा है और इसे ही वह नियर स्पेस फोर्स कह रहा है अब शांति के दिनों में यानी जब जंग नहीं हो रही है तो इस कमांड के जरिए इंटेलिजेंस इकट्ठा की जाएगी पर जब हालात जंग के होंगे तो यह फोर्स हाइपरसोनिक हथियार चलाएगी माने ऐसे हथियार जो किसी भी रडार की पकड़ से बाहर होंगे और यहीं से वो जंग को शुरू होते ही जीत लेगा नियर स्पेस कमांड के हथियार वैसे अब जब बात हथियारों की आ गई है तो आपको बता दूं कि इसके तहत दो तरह के हथियार इस्तेमाल किए जाते हैं पहला है लो डायनेमिक इसके अंदर हाई एल्टीट्यूड पर लंबे वक्त तक उड़ने वाले ड्र्संराऊ चाई पर ही उड़ने वाले गुब्बारे आते हैं

बाकी तो ठीक है लेकिन अमेरिका कह रहा है कि चीन ने इन्हीं गुब्बारों का इस्तेमाल 40 देशों पर कि है वैसे आपको क्या लगता है मुझे कमेंट में बताना बाकी मैं आगे बढ़ता हूं और आपको दूसरे टाइप के बारे में बताता हूं दूसरा है हाई डायनेमिक इसके अंदर रीएंट्री ग्लाइड व्हीकल हाइपरसोनिक क्रूज फ्लाइट और रॉकेट प्रोपेल फ्लाइट आती है दो तरीके के इन तमाम हथियारों के साथ चाइना की नियर स्पेस फोर्स बहुत ही ज्यादा तगड़ी एडवांटेज चाइना को दे देता है जो उसे बाकी दुनिया से ज्यादा और बाकी दुनिया के लिए खतरनाक बना देती है मोटे-मोटे तौर पर दो एडवांटेजेस हैं एडवांटेज वन चीन के पास 60 से ज्यादा अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट है मिलिट्री इंटेलिजेंस के लिए करीब 260 आईएएसआर सेटेलाइट हैं लेकिन इतना सब होने के बावजूद इन एयरक्राफ्ट को लिमिटेड एक्सेस की वजह से इंटरनेशनल बॉर्डर्स पर नहीं भेजा जा सकता और तो और आईएएसआर सेटेलाइट से मिलने वाला डाटा और इंफॉर्मेशन भी उतनी एक्यूरेट और हाई डेफिनेशन नहीं होती है यह अभी की दुनिया है जहां पर कई लिमिटेशन आती हैं और इन कमियों को पूरा करती है नियर स्पेस फोर्स जी हां असल में अभी जमीन पर देशों के बॉर्डर्स बने हुए हैं लेकिन स्पेस अभी किसी का नहीं है

अब इमेजिन कीजिए कि आपके पास कोई बॉर्डर ही ना हो तो आप क्या कर सकते हैं सीधा-सीधा जवाब है कुछ भी कर सकते हैं नियर स्पेस फोर्स एडवांटेज टू आइए अब बात करते हैं दूसरे एडवांटेज की तो नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी के रिसर्चस के मुताबिक 30 किमी या उससे ऊपर उड़ने वाले गुब्बारों या एयरशिप से बेहतर विजिबिलिटी और हाई क्वालिटी इमेज मिलती है यह व्हीकल हफ्तों महीनों और सालों से ऊपर रह सकते हैं और टारगेट पर लगातार नजर भी रख सकते हैं इसके साथ-साथ ये एंटी मिसाइल सिस्टम को मात भी दे सकते हैं और किसी भी कोने में सटीक निशाना भी लगा सकते हैं माने ऐसा भी हो सकता है कि आयरन डोम सिस्टम पर इजराइल इतना नाज करता है यह नियर स्पेस फोर्स उसकी पल भर में धजिया उड़ा सकती है 40 से ज्यादा देशों में चीनी गुब्बारे है बात सिर्फ यहां इजराइल की नहीं है मैंने आपको शुरू में‌ ही बताया था कि अमेरिका ने दावा किया था कि फरवरी में अमेरिका की मोंटाना में जो स्पाई बलून मार गिराया गया है वो नियर स्पेस फोर्स का ही था बाद में अमेरिकी अधिकारी ने दावा किया कि ऐसे गुब्बारे पांच कॉन्टिनेंट्स के 40 से ज्यादा देशों में देखे गए हैं जैसे कनाडा जापान साउथ चाइना सी अमेरिका ताइवान कोस्टा रिका फिलिपींस भारत कोलंबिया वेनेजुएला और भी कई देश अभी आपको बाकी देशों की तैयारी बताऊं उससे पहले एक सवाल मेरे मन में जो आ रहा है वो यह है कि यार एक बलून कितना ही खतरनाक हो सकता है

यह स्पाई बलून पृथ्वी के सरफेस से 24 से 37 किमी ऊपर उड़ सकते हैं जबकि फाइटर प्लेन ज्यादा से ज्यादा 15 किमी ही जा सकते हैं माने इन स्पाय बलून की ऊंचाई फाइटर प्लेन से दोगनी होती है सिर्फ इतना ही नहीं यह स्पाई बलून कैमरा रडार सेंसर्स और कम्युनिकेशन इक्विपमेंट से लेस होते हैं और ऊपर से हीलियम गैस और सोलर पैनल की वजह से लंबे वक्त तक उड़ सकते हैं इसी तरह नियर स्पेस में हाइपरसोनिक हथियार साउंड से पांच गुना तेज रफ्तार से चल सकते हैं ऑब्जर्वर्स रिसर्च फाउंडेशन के मुताबिक चीन खास तौर पर नियर स्पेस में उड़ने वाले व्हीकल्स और नियर स्पेस टेक्नोलॉजी पर फोकस कर रहा है आने वाले महीनों और सालों में यह फैक्ट कई देशों को झकझोर देगा कि चीन ने नियर स्पेस में अच्छा खासा रिसोर्स बना लिया है अमेरिका की डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी के मुताबिक चीन ऐसे जैमर बना रहा है जो अमेरिकी टोही प्लेटफॉर्म्स के कम्युनिकेशन को रोक सके क्या नियर स्पेस में चीन इकलौता है देखिए चीन के पास थोड़ी बहुत बढ़त जरूर है

लेकिन इकलौता नहीं है जी हां अमेरिका और उसके अलावा और देश भी ऐसी ऊंचाई पर उड़ने वाले एरो स्पाई गुब्बारों और व्हीकल्स को डेवलप कर रहे हैं 2019 में चीन में एक डॉक्यूमेंट्री सीरीज आई थी जिसमें चीनी एयरफोर्स ने किसी देश के एक संदिग्ध स्पाई बलून को मार गिराया था हालांकि इसकी ज्यादा डिटेल जारी नहीं की गई अब इसका मतलब साफ था कि चाइना के अलावा कोई और भी है जो यह काम पहले से कर रहा है और हो तो यह भी सकता है कि वो चाइना से ज्यादा तेजी से इस पर काम कर रहा हो और उसने 2019 में ही अपना यह स्पाई बलून नियर स्पेस में इस्तेमाल कर लिया है तो अब तक वह बाकी चीजों के बारे में तैयारी कर चुका हो इसके अलावा इंडिया ने भी स्पेस मिलिट्री यूज के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर और थोरेट्स यानी आईएएफ ने अपना नाम भी तय कर लिया है

इंडियन एयर एंड स्पेस फोर्स इंडिया और चाइना के रिलेशंस कैसे हैं यह मुझे आपको डिटेल में बताने की जरूरत शायद नहीं है क्योंकि इस वक्त देश का बच्चा बच्चा जानता है कि ड्रैगन इंडिया पर आंख गड़ाए बैठा है तो इंडिया ने भी उसके साथ-साथ खुद तैयार करने का प्लान कर लिया है मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस एजेंसी के रिपोर्ट से एयरफोर्स स्पेस की तमाम जरूरतों को देखते हुए अपने आप को बड़े पैमाने पर ट्रेनिंग देगी इसके तहत हैदराबाद में स्पेस वॉ ट्रेनिंग कमांड भी एस्टेब्लिश की जा रही है और इसी के जरिए स्पेस लॉ की ट्रेनिंग के लिए अलग से कॉलेज भी बनाया जाएगा एयरफोर्स बनाने के लिए एयरफोर्स ने स्पेस सैटेलाइट की एक बड़ी फ्लीट तैयार करने का भी फैसला किया है एयरफोर्स ने डीआरडीओ से ऐसे एयरक्राफ्ट पर काम भी करने के लिए कहा है जो स्पेस में भी आराम से उड़ सके एयरोस्पेस से जुड़ी प्राइवेट कंपनियों को भी इसमें शामिल करने की बात की जा रही है यह भारत की अंतरिक्ष में मिलिटराइजेशन की शुरुआत है

भविष्य की लड़ाइयां जमीन समुद्र आसमान के साथ ही साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्र में भी लड़ी जाएंगी भारत सुरक्षा के के लिए अंतरिक्ष में अपनी रक्षात्मक और आक्रमक दोनों ताकतों को बढ़ाने पर अब काम कर रहा है इसके अलावा अमेरिका ने तो 2019 में बनाई थी स्पेस फोर्स जी हां करीब 5 साल पहले अमेरिका ने स्पेस फोर्स बना ली थी इसका काम स्पेस में अमेरिकी प्रॉपर्टी की सिक्योरिटी कम्युनिकेशन और सर्विलांस का था उस वक्त के अमेरिका के प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप हुआ करते थे जिन्होंने यह कहा था कि जंग का सबसे नया डोमेन है माने लगभग वही डायलॉग तो अब चाइना के रिसर्च पेपर में देखने को मिला है और कहने वाले तो यह भी कह रहे हैं

कि वो तो स्पाय लून 2019 में चाइना में देखा गया था वह किसी और का नहीं बल्कि अमेरिका का ही था खैर जो भी हो फिलहाल तो हाल ही में स्पेस फोर्स ने साउथ कोरिया में अपना बेस शुरू किया है अमेरिका के अलावा यूके फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया में भी स्पेस फोर्स बन चुकी है अब अगर हर देश के पास स्पेस में भी फोर्सेस बन जाएंगी तो वहां के लिए फिर कुछ नियम कायदे भी होने चाहिए या नहीं कोल्ड वॉर को याद कीजिए कोल्ड वॉर के दौरान अमेरिका और सोवियत यूनियन में स्पेस रेस बढ़ने लगी जिसके बाद 1967 में यूनाइटेड नेशंस आउटर स्पेस समझौता हुआ इस समझौते के आर्टिकल फोर के मुताबिक स्पेस में मास डिस्ट्रक्शन के हथियारों को रखने और उनके इस्तेमाल पर बैन है हालांकि पारंपरिक हथियारों पर कुछ नहीं कहा गया है

माने एक लूप होल चाइना ने निकाल लिया है वो लूप होल है नियर स्पेस के मिलिट्री इस्तेमाल को लेकर ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ है और चीन इसी का फायदा उठा रहा है अब यार उस वक्त ये किसने सोचा था कि कोई नियर स्पेस नाम की चीज में भी अपनी फोर्स बनाने की सोच लेगा खैर जो भी हो अगर इस तरीके की फोर्सेस बनेंगी तो फिर इसके लिए नियम कानून भी बनाने पड़ेंगे आपको क्या लगता है इस तरह से अगर इंसान लड़ने के लिए सबसे ताकतवर बनने के लिए धरती के बाद अब स्पेस को भी नहीं छोड़ेगा तो वह अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारकर जिंदगी को खत्म करने का काम नहीं कर रहा है आपके हिसाब से क्या इस तरह की कोई फोर्स होनी चाहिए या नहीं मुझे कमेंट में बताइए।

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