अंतरिक्ष में कैसे रहते Astronaut, अंतरिक्ष यात्री की दिनचर्या | Life of an Astronaut in Space

स्वागत है आपका इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर
और आज हम जानेंगे कि कैसी होती है
अंतरिक्ष में एस्ट्रोनॉट्स की जिंदगी होती है
दोस्तों हमारी आकाश गंगा में 200 बिलियन
प्लेनेट हैं और अंतरिक्ष में आकाशगंगा
जैसी 2 लाख करोड़ गैलेक्सी हैं जिनमें
अरबों खरबों प्लेनेट हैं और स्टार उल्का
पिंड और छुद्र ग्रह मौजूद हैं इसी से आप
अंदाजा लगा सकते हैं कि यह यूनिवर्स कितना
बड़ा है और यहां हमारी पृथ्वी एक चावल के
दाने जितनी छोटी है हमारा यह विशाल काई
यूनिवर्स सैकड़ों रहस्यों से भरा हुआ है और इन
रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए हमारे
साइंटिस्ट एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस में
भेजते हैं हालांकि अंतरिक्ष में जाकर धरती
की किसी और भी जगह पर जाने जैसा बिल्कुल
भी नहीं है क्योंकि इस सफर में
एस्ट्रोनॉट्स कई तरह के फिजिकल और मेंटल
चैलेंज से गुजरते हैं इसी वजह से
एस्ट्रोनॉट बनते ही उन्हें कई महीनों से
लेकर सालों तक लगातार अंतरिक्ष में जाने
की ट्रेनिंग दी जाती है जिसके बाद इन्हे
एक स्पेस क्राफ्ट में बिठाकर अंतरिक्ष में
भेज दिया जाता है जहां अंतरिक्ष इन एस्ट्रोनॉट्स का
ठिकाना बनता है इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन
यानी आईएसएस जिसे दुनिया के 16 देशों ने मिलकर
करीब 150 बिलियन डॉलर्स की लागत से बनाया
है आईएसएस को हम धरती की सतह से 408 किमी
की ऊंचाई पर पृथ्वी की ऑर्बिट में लगातार
घूमने वाली एक एडवांस लेबोरेटरी होटल या
विकल भी कह सकते हैं क्योंकि यहां पर
एस्ट्रोनॉट्स के खाने पीने रहने सोने और
एक्सपेरिमेंट करने की सभी सुविधाएं उपलब्ध
हैं लेकिन हर चीज जीरो ग्रेविटी में करनी
होती है जो अपने आप में काफी कठिन काम बन
जाता है तो आखिर अंतरिक्ष यात्री आईएसएस
पर कैसे खाते पीते और रहते हैं नहाना और
शौच क्रिया जैसे जरूरी काम कैसे करते हैं
और क्या वाकई में सरवाइव करने के लिए
उन्हें अपना पेशाब पीना पड़ता है चलिए
जानते हैं इस दिलचस्प जानकारी में दोस्तों
आईएसएस पर जाकर एस्ट्रोनॉट्स पांच
महत्त्वपूर्ण काम जरूर करते हैं हैं
जिनमें रिसर्च एंड एक्सपेरिमेंट करना
आईएसएस की मेंटेनेंस और मरम्मत करना स्पेस
सूट पहनकर खुले अंतरिक्ष में स्पेस वॉक
करना एक्सरसाइज करना और 8 घंटे की नींद
लेना शामिल है लेकिन एस्ट्रोनॉट को जिस
काम में सबसे बड़ी समस्या का सामना करना
पड़ता है वह है डेली रूटीन फॉलो करना
क्योंकि जहां पृथ्वी पर हम सभी 24 घंटे
में एक बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखते
हैं यानी यहां एक दिन में 24 घंटे का होता
है वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन अपनी तेज
गति की वजह से 24 घंटे में पृथ्वी के 16
चक्कर लगाता है यानी यहां रहने वाले
एस्ट्रोनॉट्स को दिन में 16 बार सूर्योदय
और सूर्यास्त देखने को मिलता है ऐसे में
उनकी बॉडी क्लॉक बिगड़ने लगती है जिससे वह
बीमार भी पड़ सकते हैं और उनकी
प्रोडक्टिविटी भी खत्म हो जाती है इसलिए
एस्ट्रोनॉट्स भी पृथ्वी की तरह ही 24 घंटे
दिन की रूटीन को फॉलो करते हैं और समय
देखने के लिए अंतरिक्ष यात्री ओमेगा कंपनी
की स्पीड मास्टर प्रोफेशनल वॉच का ही
इस्तेमाल करते हैं जो उन्हें पृथ्वी के
टाइम के हिसाब से सुबह नींद से उठने में
मदद करती है और एस्ट्रोनॉट सुबह 8:00 बजे
नींद से उठ जाते हैं यहां आपको बता
दें कि धरती पर गुरुत्वाकर्षण होने की वजह
से हमारे पैर जमीन पर रहते हैं लेकिन
अंतरिक्ष में जाते ही एस्ट्रोनॉट्स की
बॉडी वेटलेस हो जाती है और हवा में तैरने
लगती है जिस वजह से खाना पीना टॉयलेट करना
और नहाना जैसे रूटीन काम भी हवा में तैरते
हुए करने पड़ते हैं जो उनके लिए तो काफी
ज्यादा चैलेंजिंग होती है लेकिन आपको
उन्हें यह करते जानकर काफी मजा आएगा तो
आइए जानते हैं आईएसएस पर एस्ट्रोनॉट्स का
डेली रूटीन सबसे पहले बारी आती है फ्रेश
होने की तो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भी
बाथरूम बने होते हैं जिसमें पोटी करने के
लिए स्पेस टाइप के कमोड होते हैं जिन्हें
नीचे फेन सिस्टम लगा होता है जो बॉडी के
सॉलिड क्वेस्ट को निकालते ही उसे अपनी तरफ
खींच लेता है और एक प्लास्टिक बैग में
भरकर सील कर देता है जिन्हें सप्लाई के
लिए भेजा गया जहाज अपने साथ पृथ्वी पर वापस
ले आता है लेकिन हमने शुरुआत में एक सवाल
किया था कि क्या एस्ट्रोनॉट्स को अंतरिक्ष
में ही अपना पेशाब पीना पड़ता है तो इसका
जवाब है हां लेकिन जैसा आप सोच रहे हैं
वैसा नहीं दरअसल लिक्विड वेस्ट यानी पेशाब
के लिए हर एक एस्ट्रोनॉट्स के पास एक
प्लास्टिक बैग होती है आपको बता दूं कि यह
सक्शन ट्यूब होती है जो हर तरह के लिक्विड
वेस्ट को खींच कर एक खास तरह के उपकरण में
भेजता है जो एक इलेक्ट्रोलिसिस प्रोसेस की
मदद से इसमें से फ्रेश ऑक्सीजन और पीने के
पानी को बनाता है जी हां एस्ट्रोनॉट्स के
पेशाब से ही पीने के पानी‌ को बनाया जाता है
लेकिन कई प्रोसेसेस होने की वजह से यह
पानी बिल्कुल साफ और पीने layak बन जाता है
और आपको यह जानकर हैरानी होगी कि नासा ने
सिर्फ इस वाटर रिकवरी सिस्टम पर ही 250
मिलियन डॉलर खर्च किए थे फ्रेश होने के
बाद अंतरिक्ष यात्री नहाने के लिए जाते
हैं जिसके लिए व एक टॉवल पर पानी और साबुन
लगाकर
उससे अपने शरीर को अच्छी तरह से पोंछ लेते
हैं हालांकि स्पेस में पानी भी तैरता है
इसलिए हवा में ही टॉवल को गीला किया जाता
है और फिर एस्ट्रोनॉट इस टावल को
निचोड़ते है तो पानी इनके हाथों पर भी एक
पारदर्शी परत बनाकर चिपक जाता है इसलिए
तौलिए से शरीर को अच्छे से पोछना पड़ता है
दोस्तों फीमेल एस्ट्रोनॉट्स के बड़े बालों
को धोने के लिए स्पेशल रिंस लेस शैंपू का
इस्तेमाल किया जाता है जिससे बाल धोने में
बेहद कम पानी की जरूरत पड़ती है वहीं मेल
एस्ट्रोनॉट्स के लिए बाल और दाढ़ी ट्रिम
करने के लिए फोबी नाम की ट्रीमर
मशीन अवेलेबल होती है जो वेक्यूम
क्लीनर के साथ अटैच रहती है यानी
बाल कटने के साथ ही नीचे गिरने के बजाय
वैक्यूम क्लीनर में चले जाते हैं अच्छे से
नहाने धोने के बाद बारी आती है कपड़ों की
तो स्पेस में टेंपरेचर 60 से 70° के पार
रहता है इसलिए एस्ट्रोनॉट्स हाफ स्लीव
टीशर्ट और शॉर्ट्स पहनना ही पसंद करते हैं
और मजेदार बात यह है कि जैसे आजकल के कुछ
आलसी यंगस्टर कई दिनों तक ऐसे ही कपड़े
पहन कर रह ते हैं वैसे ही एस्ट्रोनॉट्स भी
कई दिनों तक एक ही टीशर्ट पहन कर रहते हैं
क्योंकि आईएसएस पर कपड़े धोने की कोई
व्यवस्था नहीं है अब दोस्तों घर से इतना
दूर रहने की वजह से कोई बार एस्ट्रोनॉट्स
को परिवार की याद भी आ जाती है और उन्हें
रोना भी आता है लेकिन क्या स्पेस में रोया
जा सकता है और अगर हां तो उनके आंसू कहां
जाते हैं तो इस बात का जवाब देने के लिए
एक एस्ट्रोनॉट्स ने अपनी आंखों में पानी
डालकर रोने की कोशिश की थी जिस दौरान उनकी
आंखों से आंसू निकल तो रहे थे लेकिन नीचे
गिरने के बजाय चेहरे पर चिपक कर तैर रहे
थे जिसे पोछने के लिए टॉवल ‌की जरूरत पड़ती
है खाने की बात करें तो एस्ट्रोनॉट्स धरती
से खाना अपने साथ ले जाते हैं और वह
हाइड्रेट फॉर्म में होता है ताकि वह लंबे
समय तक खराब ना हो आमतौर पर खाने में अंडे
मीट ब्रेड और सब्जियां होती हैं जिन्हें
खास तौर पर जापान अमेरिका और रूस में ही
तैयार किया जाता है बर्तन भी खास तरह से
डिजाइन किए जाते हैं ताकि ग्रेविटी के
बिना कटे और चम्मच किसी के आंख नाक और कान
में ना घुस जाए तो अपनी पसंद के रेडी टू ईट
पैकेट चुनकर एस्ट्रोनॉट्स उसमें गर्म पानी
मिलाकर कुछ देर के लिए छोड़ देते हैं और
उनका खाना तैयार हो जाता है जिससे यह लोग
साथ मिलकर खाते हैं आपको बता दें कि
एस्ट्रोनॉट्स सुबह 9:00 बजे ब्रेकफास्ट
1:00 बजे लंच और 7:00 बजे डिनर जैसी तीन
मील्स लेते हैं अब डेली लाइफ एक्टिविटीज
पूरी होने के बाद बारी आती है काम करने की
तो इसके लिए एस्ट्रोनॉट सबसे पहले अपने
इक्विप मेंट्स चेक करते हैं और फिर इंटरनेट
के जरिए मशीन कंट्रोल रूम से कांटेक्ट
करके पूरे मिशन का अपडेट देते हैं फिर ये
अपने सभी वॉक टाक्स को पूरा करते हैं जी हां
Iss पर वाईफाई लगा हुआ है लेकिन इसके
जरिए एस्ट्रोनॉट्स रील्स मूवीज वगैरह नहीं
देख सकते बस
जरूरत हो तो उसकी मरम्मत कर सकते हैं हालांकि
रोजाना स्पेस वॉक करना कंपलसरी नहीं होता
मगर वॉकआउट जरूर होता है क्योंकि ग्रेविटी
ना होने की वजह से एस्ट्रोनॉट्स के शरीर
में हड्डियों और मांसपेशियों में कमजोरी
आने की समस्या हो सकती है इसलिए अपना काम
पूरा करने के बाद ये लोग रोजाना वॉकआउट
करते हैं जिसके लिए ये ट्रेडमिल पर दौड़ते
हैं साइकलिंग करते हैं और बॉडी स्ट्रेचिंग
करते हैं आखिर में डिनर करने के बाद
एस्ट्रोनॉट्स साथ में बैठकर गप्पे लड़ाते
हैं या अपना काम पूरा करते हैं फिर करीब
10:30 बजे ये लोग अपने स्लीपिंग पॉट में
जाकर सो जाते हैं जहां इन्हें रेलवे के डब्बो
में लगे बर्थ के जैसे ही बेड पर खुद के
शरीर को स्लीपिंग बैग में बांधना होता है
ताकि अपने शरीर को एक जगह पर रखकर नींद ले
सकें और अपने स्लीपिंग पॉड में ही सोने से
पहले यह लोग अपना लैपटॉप भी चला सकते हैं
अपनी बुक्स भी पढ़ सकते हैं जिसके बाद यह
लोग 8 घंटे की जरूरी नींद लेते हैं फिर
दूसरे दिन सुबह उठकर इसी रूटीन को दोबारा
फॉलो करते हैं दोस्तों कभी ना कभी आपके
दिमाग में यह सवाल तो जरूर आया होगा कि
क्या क्या स्पेस में एस्ट्रोनॉट्स फिजिकल
रिलेशन बना सकते हैं तो बता दें कि स्पेस
में लव मेकिंग करना बिल्कुल एक अलग अनुभव
होता है हालांकि आज तक इस बात का जिक्र
सिर्फ किताबों और फिल्मों में किया जाता
है लेकिन फ्रेंच ऑथर पियरे कोलर ने अपनी
बुक द लास्ट मिशन में इस बात का जिक्र
किया था कि आउटर स्पेस में भी इसका एक
सीक्रेट एक्सपेरिमेंट किया गया था यानी कि
एस्ट्रोनॉट्स की एक जोड़ी स्पेस में
फिजिकल रिलेशन बना चुकी है खैर दोस्तों
देखा आपने कि दूर से सुहाना लगने वाला
एस्ट्रोनॉट्स का जीवन असल में कितना
ज्यादा चुनौतियों से भरा हुआ है तो क्या
मौका मिलने पर आप कभी एस्ट्रोनॉट्स बनकर
स्पेस में जाना चाहेंगे कमेंट्स में बताइए.

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