अगर कोई आपसे पूछे कि क्या टाइम ट्रेवल
पॉसिबल है तो आपका क्या जवाब होगा
ओबवियसली आपका जवाब होगा पॉसिबल नहीं है
ये सारी बातें फिल्मों में ही अच्छी लगती
हैं लेकिन क्या हो अगर मैं आपसे कहूं कि
भैया टाइम ट्रेवल एक्चुअली में पॉसिबल है
लेकिन सिर्फ तब जब वो टाइम मशीन से ना
किया जाए बल्कि आपके शरीर को फ्रिज में
जमा कर किया जाए मतलब अभी इस समय आपकी
बॉडी को जमा दिया जाए और फिर आप एक गहरी
नींद में चले जाओ और उसके बाद 50 या 100
साल बाद आपकी नींद खुले और आप अपने आप को
फ्यूचर में पाओ तो आपको कैसा लगेगा आपकी
बॉडी को फ्रीज करने के पीछे रीजन यह है कि
फ्रीज करने की वजह से ऑर्गन्स खराब नहीं
होते तो जिस उम्र में आपको जमाया गया होगा
भविष्य में आपका शरीर बिल्कुल वैसा का
वैसा आपको मिलेगा और ये कोई साइंस फिक्शन
वाली बात नहीं है ये एक्चुअली में एक
रियलिटी है ब्लड सेल्स को फ्रीज करना बोन मैरो
स्पर्म को फ्रीज करना तो आज के टाइम
में बहुत ही ज्यादा कॉमन है लेकिन आज
विज्ञान इतनी तरक्की कर चुका है कि पूरे
के पूरे इंसानी शरीर को ही फ्रीज कर दिया
जाएगा और इस तरीके से इंसान टाइम ट्रेवल
भी कर पाएगा और भविष्य में अपनी उन
बीमारियों का भी इलाज करा पाएगा जिनका
इलाज अभी के समय में अवेलेबल ही नहीं है
और मैं बिल्कुल भी देखने वाली बात नहीं कर रहा
हूं यह एक्चुअली में पॉसिबल है जानते हैं
कि कौन सी कंपनी आपको ये सर्विसेस
प्रोवाइड करा रही है कौन सी कंपनी आपको
कितने रुपए में टाइम ट्रेवल करा रही है और
क्या इस तरीके के आविष्कार भविष्य में
जाकर इंसानों के लिए और बड़ा खतरा बन सकते
हैं सब कुछ जानेंगे हम डिटेल में और
जानेंगे कि कैसे इंसान अमर होने की
तैयारी कर रहा है आज के तगड़े जानकारी में
तो अगर आप अपने शरीर को भविष्य में बेचना
चाहते हो तो उसके लिए आपको मरना पड़ेगा
अभी फिलहाल जिंदा इंसानों पर ये
एक्सपेरिमेंट नहीं हो रहा है तो जैसे ही
किसी इंसान की मौत होती है किसी बीमारी की
वजह से तुरंत उसके शरीर को फ्रीज कर दिया
जाता है क्योंकि अगर यह करने में थोड़ी सी
भी देरी हो गई तो उस इंसान की बॉडी खराब
होना स्टार्ट हो चुकी होगी और इसीलिए यह
काम तुरंत स्टार्ट किया जाता है मरने से
पहले ही उस इंसान के परिवार वाले या मरने
वाला वो इंसान खुद ही उस कंपनी के साथ
कांट्रैक्ट साइन कर चुका होता है उसके बाद
मरने वाले इंसान के शरीर को एक केमिकल
चेंबर में रखा जाता है जहां पर उसका शरीर
-130 डिग्री सेल्सियस से लेकर -160डिग्री
सेल्सियस तक ठंडा किया जाता है मतलब उसके
शरीर को केमिकल के अंदर रखकर बिल्कुल जमा
दिया जाता है और इस तरीके के केमिकल में
रखी गई बॉडीज को कहा जाता है क्रायोनिक
रिफ्यूजी अब आपके दिमाग में सवाल आ रहा
होगा कि, लोग ये बकलोली कर क्यों
रहे हैं तो देखो अभी फिलहाल इस टाइम पर
कुछ बीमारियों का इलाज साइंटिस्ट के पास
और मेडिकल में अवेलेबल नहीं है और कुछ लोग
इतने सक्षम हैं कि वो इलाज तो खरीद सकते
हैं लेकिन उनके पास इलाज नहीं है तो ऐसे
लोग पैसा खर्च करके अपनी बॉडी को भविष्य
के लिए सेफ कर देते हैं ताकि जब भविष्य
में उस बीमारी का इलाज मिल जाए जिस बीमारी
से उस इंसान की मृत्यु हुई थी तो उसकी
बॉडी को फिर से अनफ्रीज करके उस बीमारी का
इलाज करके उस इंसान को फिर से ठीक करके
जिंदा कर दिया जाएगा तो बेसिकली अभी ये जो
कंपनी काम कर रही है बॉडी को फ्रीज करने
वाला वो केवल बॉडी को फ्रीज कर रही है
उसके पास कोई गारंटी वारंटी नहीं है कि
भविष्य में इस तरीके से फ्रीज की गई जो
डेड बॉडीज है उनको फिर से अनफ्रीज करके
जिंदा करने का तरीका उनके पास फ्यूचर में
होगा तो इसका मतलब इस कहानी में एक झोल तो
है लेकिन इस झोल के बावजूद भी इस दुनिया
में 500 से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो अपनी
बॉडी को फ्रीज करवा चुके हैं और 100 से
ज्यादा लोगों ने तो अपने पालतू जानवरों की
बॉडी को भी फ्रीज करवा दिया है यहां पर बहुत सारे
केमिकल्स के चेंबर्स है जिनके अंदर ह्यूमन
बॉडीज रखी जाती हैं 100 से लेकर 50 साल तक
के लिए ये एक तरह का कोल्ड स्टोरेज ही है
देखो बहुत से लोग कहेंगे कि मौत को टाला
नहीं जा सकता जब जिसकी आनी है तब उसकी आनी
है लेकिन क्या पता कि इंसान अपने खुरापाती
दिमाग के बदौलत मौत के ऊपर भी जीत
हासिल कर ले और अगर ये पॉसिबल हो गया तो
भविष्य में इंसानों के लिए ही एक बहुत
बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी और ये मुसीबत
क्या होगी मैं अभी आपको आगे बताने वाला
हूं लेकिन उससे पहले जान लो कि ये जो पूरी
प्रोसेस होती है ना जिसके अंदर बॉडी को
प्रिजर्व करके रखा जाता है उसको कहा जाता
है क्रायोजेनिक प्रिजर्वेशन और ये काम
करती है अल्कल लाइफ एक्सपेंशन फाउंडेशन जो
कि एक अमेरिका की कंपनी है इनकी फैसिलिटी
में अभी इनके पास बहुत सारी बॉडीज हैं
जिनको ये लोग फ्यूचर में जिंदा करने wale
हैं ये लोग अपनी फैसिलिटी में बॉडी को
ठंडा तो रखते ही हैं साथ में उसको उल्टा
लटकाकर भी रखते हैं ताकि ब्रेन में ब्लड
जाता रहे और साथ ही ये लोग कुछ मशीनों का
इस्तेमाल करके बॉडी के अंदर ब्लड फ्लो का
सर्कुलेशन बनाकर रखते हैं और इसी काम का
ये लोग भैया डेढ़ करोड़ से ज्यादा चार्ज
करते हैं तो अगर आप मरने के बाद भी जिंदा
होना चाहते हो भविष्य में अपनी लाश
पहुंचाना चाहते हो तो आपके पास होने चाहिए
मात्र 1.5Cr और अगर आपके पास इतनी धन
राशि नहीं है तो फिर इस जानकारी को देखो और
खुश रहो तो ये जो कांसेप्ट है ना ये
कुछ-कुछ वैसा ही है जैसा कि प्राचीन काल
में लोग अपने शरीर की ममीज बनवा लेते थे
हालांकि वो लोग ममीज इसलिए नहीं बनवाते थे
कि उनको भविष्य में जिंदा होना था उनका
कांसेप्ट तो कुछ अलग ही था लेकिन यहां पर
साइंटिस्ट का जो कांसेप्ट है वो एकदम
क्लियर है कि भविष्य में उनके पास लाशों
को फिर से जिंदा करने की टेक्निक हो या ना
हो बीमारियों का इलाज करने की टेक्नोलॉजी
हो या ना हो लेकिन अभी लोगों की जेब से
पैसा निकालने की टेक्निक उनके पास जरूर आ
गई है वो मरे हुए लोगों की लाशों को ठंडा
करके रख रहे हैं इस उम्मीद में कि भविष्य
में शायद वो लाशें फिर से जिंदा हो पाएंगी
अब आपके दिमाग में ये सवाल आ रहा होगा कि
भाई लोग क्या बेवकूफ है जो करोड़ों रुपए
इस तरीके से खर्च कर रहे हैं एक कंपनी के
वादों पर भरोसा करके, वो अपनी लाशों को इस
तरीके से फ्रीज क्यों करवा रहे हैं तो मैं
आपको बताता हूं एक रियल लाइफ इंसिडेंट जो
कि 2016 में हुआ था और इसे सुनने के बाद
हो सकता है आपकी भी सोच बदल जाए 2016 में
पेंसिलवेनिया में जस्टिन स्मिथ नाम का एक
लड़का था जिसकी उम्र थी करीब 26 साल वो एक
शाम अपने घर से बाहर गया लेकिन रात तक लौट
कर नहीं आया उसके साथ शायद कुछ घटना घट गई
थी जब उसके पिता ने धूड़ा तो पाया कि
सड़क के किनारे यह बेहोश पड़ा हुआ है
बेहोश इन द सेंस वो मर ही चुका था शरीर
पूरी तरीके से बर्फ से ढक चुका था शरीर
ठंडा पड़ गया था दिल की धड़कन नहीं चल रही
थी सांसें नहीं चल रही थी लेकिन पिता ने
हार नहीं मानी वो अपने बेटे स्मिथ को लेकर
गया हॉस्पिटल जहां पर डॉक्टर्स ने उसको
मृत घोषित कर दिया लेकिन उसके बावजूद भी
स्मिथ के पिता ने हार नहीं मानी तो उनकी
जित के चलते डॉक्टर्स ने ईसीएमओ टेक्निक
का यूज किया जस्टिन को फिर से जिंदा करने
के लिए ईसीएमओ का मतलब होता है एक्स्ट्रा
कॉरपोरियल मेंब्रेन ऑक्सीजन मतलब किसी
इंसान का दिल और फेफड़े किसी बीमारी के
चलते ठीक से काम नहीं कर पा रहे हैं तो ये
टेक्नोलॉजी फेफड़ों का और दिल का काम करना
आसान कर देती है इसमें जो मशीन यूज होती
है वो एक तरीके से आर्टिफिशियल लंग और
आर्टिफिशियल हार्ट का काम कर देती है
ह्यूमन बॉडी के लिए और जब इस टेक्नोलॉजी
का इस्तेमाल किया गया तो 15 दिन कोमा
में रहने के बाद जस्टिन स्मिथ को होश आ
गया उसके ब्रेन में भी किसी भी तरीके का
कोई डैमेज नहीं था वो एकदम हेल्दी था तो
इस घटना के बाद लोगों को समझ में आया कि
अगर ह्यूमन बॉडी को मरने से ठीक पहले जमा
दिया जाए तो उसका खून गर्म करके और यह
सारी मशीनें वगैरह लगाकर फिर से जिंदा
किया जा सकता है और यह एकदम रियल इंसिडेंट
था आप चाहो तो इसके बारे में न्यूज़
आर्टिकल भी सर्च कर सकते हो आपको ये घटना
हर न्यूज़ पेपर की वेबसाइट पर मिल जाएगी
तो जस्टिन स्मिथ के साथ तो अच्छा हो गया
लेकिन जो लोग इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
कर रहे हैं भविष्य में जिंदा होने की
उम्मीद में क्या वो लोग सही कर रहे हैं
देखो मुझे तो ऐसा लगता है कि मौत एक सत्य
है जिसे इंसान को स्वीकार लेना चाहिए
प्रकृति के नियमों के साथ खिलवाड़ नहीं
करना चाहिए।
आजकल के ये जो वैज्ञानिक है ना ये फालतू
की चीजों पर कुछ ज्यादा ही फोकस कर रहे
हैं इनके पास आप लोगों के लिए तरह-तरह के
ऑफर होते हैं कि अगर आप थोड़े से गरीब हो
पूरी बॉडी को प्रिजर्व नहीं करवा सकते तो
केवल अपनी मुंडी को प्रिजर्व करवा लो
भविष्य में क्या पता ऐसी टेक्नोलॉजी आ जाए
कि आपकी मुंडी को एक नए शरीर पे लगाकर
आपको फिर से जिंदा कर दे और ये मैं हंसी
मजाक की बात नहीं कर रहा हूं ये भी रियल
में अवेलेबल है इसको कहा जाता है न्यूरो
प्रिजर्वेशन मतलब सोचो ये टेक्नोलॉजी आने
के बाद भविष्य का नजारा कैसा होगा। लोग
सड़क पर घूम रहे होंगे कोई बूढ़ा दद्दू
आकर बोलेगा यार देखो मैं तो मर चुका था
फिर से जिंदा हो गया हूं कोई आदमी बोलेगा
कि भैया ये मुंडी बस मेरी है ये शरीर तो
किसी और का है और मेरी मौत तो 100 साल
पहले ही हो चुकी थी मतलब लिटरली इस
टेक्नोलॉजी की वजह से हो सकता है आपको इस
दुनिया में चलते फिरते भूत दिखाई दें और
सोचो अगर ये चीज इतनी सक्सेसफुल हो गई तो
फिर तो कभी कोई मरेगा ही नहीं हर आदमी इस
टेक्नोलॉजी का यूज करेगा भाई हर आदमी मरने
के बाद जिंदा हो जाएगा बीमारी का इलाज
निकाल लेगा फिर तो पता नहीं इस दुनिया का
क्या ही होगा आपको क्या लगता है क्या इस
तरीके के आविष्कार सही हैं क्या ये सारी
चीजें होनी चाहिए मुझे कमेंट करके जरूर
बताना और लिटरली मैं आपको बता दूं कि ये
जो हो रहा है ना ये सब तो केवल एक शुरुआत
है आगे आगे देखो टेक्नोलॉजी के साथ इंसान
क्या-क्या खेल खेलता है भगवान भी जो ऊपर
से इंसानों को देखता होगा तो यही सोचता
होगा कि इन सालों को जरा सा दिमाग
क्या दे जो खुद भगवान बनने चले हैं।