जहां पुरी दुनिया जानने की कोशिश कर रही है
वह है चांद एक के बाद एक अमेरिका हो या रूस
चीन हो या फिर अब भारत देश चांद पर जाना
चाहता है लेकिन आपने कभी सोचा है की आखिर
चंद्रमा की दुनिया कैसी है चांद पर मिट्टी
है या पत्थर समुद्र है या नदियां पहाड़ है
या रेत के मैदान पानी है या कुछ और चांद की
धरती पर एलियन है या इंसान तो चलिए
दोस्तों अगले कुछ डर में ले चलते हैं आपको
चांद की सैर पर तो चलिए शुरू करते हैं आपने
चांद के सफर को, धरती से चांद की दूरी लगभग
384000 किमी है पृथ्वी से चांद तक पहुंचने
में सबसे कम समय 4 दिन अमेरिका को लगा है
वही अगर हम चंद्रयान के रास्ते से चांद पर
जाते हैं तो लगभग 40 दिन का समय लगेगा अगर
यह मानकर चलें की हम अमेरिका स्पेसक्राफ्ट
में बैठकर चांद पर जा रहे हैं तो हमें वहां
पहुंचने में 4 दिन का समय लगेगा 4 दिन
बाद हम चांद की जमीन पर होंगे चांद की जमीन पर
उतारने के बाद जो हमें सबसे पहले दिखेगा
वो है चांद की जमीन आपको चांद की जमीन ऊबड़
खाबड़ नजर आएगी चांद की जमीन पर हर तरफ
आपको बड़े-बड़े गद्दे दिखाई देंगे जब आप
चांद की जमीन पर खड़े होकर ऊपर की और
देखेंगे तो आपको हमारा खूबसूरत ग्रह
पृथ्वी नजर आएगा जिसमें आपको पृथ्वी
साफ-साफ अपने कक्ष पर घूर्णन करती हुई नजर
आएगी लेकिन आसमान में हमेशा उसकी स्थिरता
बनाए रखेगी अर्थात chand पर खड़े होकर
पृथ्वी को कई वर्षों से अगर हम निहारत रहे
तो वह अपनी जगह से टच से मस्त नहीं होगी
chand का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के मुकाबला
छह गुना कम है यानी chand की जमीन पर जाने के
बाद हमारा वजन छह गुना कम हो जाएगा यदि
पृथ्वी पर आपका वजन 60 किलो है तो चांद की
सरफेस पर आपका वजन केवल 10 किलो ही रह
जाएगा यानी चंद की जमीन पर उतारने के बाद
आप अपने आप को काफी हल्का महसूस कर रहे
होंगे आप इधर उधर आसानी से ऊछल पाएंगे इसी
करण नील आर्मस्ट्रांग जब चांद उतर रहे थे
तब उछल-उछल कर चल रहे थे क्योंकि दोस्तों
चांद पर पृथ्वी की तरह चल पाना संभव नहीं है
चांद की सतह पर नील आर्मस्ट्रांग और उनके
साथियों के कदमों के निशान आज भी मौजूद है
क्योंकि वहां पर हवा न होने की वजह से वहां के
निशान मिटे नहीं है फिर थोड़ा चलने के बाद
जब आप चांद पर इधर उधर देखोगे तो आपको बहुत
सर कचड़ा पेपर बहुत सारे क्षतिग्रस्त
सैटेलाइट और बैग्स मिलेंगे ये सर कचड़ा हम
इंसान ने ही फैलाया है ये कचड़ा इतना
ज्यादा है की पांच ट्रक भर सकते हैं चांद
पर कचड़ा और ये पेपर अंतरिक्ष यात्रियों ने
फेके थे जिसमें उनकी मानव मूत्र और
उल्टियां हैं अब आप चांद की जमीन पर खड़े
हैं तो आपको सबसे ज्यादा खतरा आसमानी मौत
का है चांद का गुरुत्वाकर्षण कम होने की
वजह से इसके पास कोई भी वायुमंडल मौजूद
नहीं है वायुमंडल की ना मौजूदगी के करण
वहां पर रहने वालों के लिए उल्का पिंड से
टकराने का खतरा लगातार बना रहता है
यानी आप चांद पर खड़े हैं और पता नहीं कब
एक बड़ा पत्थर आसमान से गिर कर आएगा और
आपकी मौत वहीं पर हो जाएगी यही वजह है
पृथ्वी से देखने पर जो चांद पर काले धब्बे
दिखाई देते हैं असल में वे काले धब्बे नहीं
गड्डे हैं जहां पर सूर्य की रोशनी नहीं
पहुंच पाती अंधेरे की वजह से वो धब्बे नजर आते
हैं सूर्य के बाद आसमान में सबसे ज्यादा
चमकने वाली अगर कोई चीज है तो वो है
चंद्रमा जब हम पृथ्वी से आसमान की तरफ
देखते हैं तो हमें नीला दिखाई देता है
लेकिन जब चांद न से आसमान की तरफ देखेंगे तो
हमें नीला नहीं बल्कि काला दिखाई देगा यानी
आप जब भी ऊपर आसमान की तरफ देखेंगे तो
आपको लगेगा की आप काले ल आसमान की दुनिया में
आ गए हैं अब चांद पर खड़े होकर आप बहुत
बोरिंग फूल कर रहे हैं और हम मजाक नहीं कर
रहे अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने
वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाते
हुए चांद पर वाईफाई की सुविधा उपलब्ध कर दी
है जो की 3 एमबीपीएस तक इंटरनेट स्पीड
देता है
आप आराम से चंद पर इंटरनेट चलाकर अपना
एंटरटेनमेंट कर सकते हैं अब आपका मन कर
रहा है इंटरनेट तो बहुत हुआ अब चांद से मैं
पृथ्वी पर अपने घर फोन करके बात करता हूं
आपने फोन मिलाया फोन लग भी गया लेकिन यह
क्या आप बोल रहे हैं लेकिन आपकी आवाज मुंह
से बाहर नहीं आ रही है जी हां ये सच है
चांद पर आप कितना भी जोर से चिल्ला ले आपकी
आवाज मुंह से बाहर नहीं आएगी धरती पर वायु
की हमेशा हर जगह उपस्थित रहती है लेकिन
चंद्रमा का अपना कोई वायुमंडल नहीं है
इसलिए वहां पर ध्वनि तरंगा का संरक्षण
सामान्य रूप से संभव नहीं है यदि आप
चंद्रमा पर किसी को पुकार कर बुलाना
चाहेंगे तो उस तक आपकी आवाज नहीं पहुंच
पाएगी परंतु चंद्रमा पर एस्ट्रोनॉट्स
स्पेस सूट में रहते हैं जिसमें ऑक्सीजन और
नाइट्रोजन भर कर कृत्रिम रूप से
वायुमंडलीय दबाव बनाया जाता है इसलिए वे
सूट में बात कर सकते हैं और उसमें लगे
माइक्रोफोन की मदद से किसी अन्य व्यक्ति
तक भी अपनी बात पहुंच सकते हैं
इस तरह से चंद्रमा पर टेलीफोन के कम करने
में तो कोई समस्या नहीं है लेकिन आपको
ध्वनि को अपने मुंह से माइक्रोफोन तक
पहचाने के लिए किसी मध्य जैसे वायु की
आवश्यकता पड़ेगी जो की इस स्पेस सूट में
ही संभव है भविष्य में अगर चांद पर इंसानी
बस्ती बस्ती है तो यह संभव है की टेलीफोन
से चांद पर बात की जा शक्ति है लेकिन
चंद्रमा से पृथ्वी तक सिग्नल पहुंचने में
लगभग 1.27 सेकंड का समय लगता है
इसलिए पृथ्वी से संपर्क के दौरान आपको
रुक-रुक कर बात करनी पड़ेगी अब चांद पर
हमको रहना है तो अब बात करते हैं चांद पर
दिन और रात के बारे में चांद को पृथ्वी का
एक चक्कर लगाने में
27.3 दिन लग जाते हैं और अपने अक्ष पर भी एक
चक्कर लगाने में इतना ही टाइम लगता है यही
वजह है की चांद पर हमें एक बार में एक भाग
ही दिखता है दूसरा भाग छुपा राहत है वहीं
चंद पर एक दिन करीब 14 दिन का होता है रात
भी इतनी ही लंबी होती है यानी चंद की सतह
पर मौजूद वस्तुओं पर रात और दिन का बहुत
ज्यादा असर होता है रात में चांद का तापमान
लगभग -153 डिग्री तक गिर जाता है
जबकि दिन में तापमान 180 डिग्री सेल्सियस
तक बढ़ जाता है फिर चांद के अलग-अलग हिस्सों
की स्थितियां भी अलग-अलग होती हैं माना
जाता है की चांद का साउथ पोल ज्यादा ठंडा
होता है रात तो वहां पर इतनी ठंडी होती है
की पृथ्वी का कोई भी मनुष्य शायद ही उन
हालात में रह पायेगा । बस्तियां बसाने की कल्पना
तो दूर की बात है अगर वैज्ञानिकों की मानें
तो चांद के साउथ पोल पर दिन में भी तापमान
ज्यादा गर्म नहीं होता है लेकिन रात बहुत ही
ठंडी होती है समय गुजरते के साथ ही यह
गिरता है और बर्फ जमने लगती है जो की इस
क्षेत्र में रहने की स्थितियों को और भी
भयानक बना देती है इन्हीं भयानक स्थितियों
के चलते चांद पर अब तक जितने भी मिशन गए
हैं वह सब उत्तरी इलाकों में किया गए हैं
रात में हमें जो चांद चमकता हुआ नजर आता है
लेकिन हम जानकर काफी हैरानी होगी की चांद
की अपनी खुद की कोई रोशनी नहीं है जो चांद
पर रोशनी नजर आई है वो सूरज से आने वाली
रोशनी का रिफ्लेक्शन है यानी हमें सूरज
रोशनी देना बंद कर दे तो चांद हमें कभी
नजर नहीं आएगा चांद पृथ्वी के चारों तरफ
घूमते वक्त अपना एक ही हिस्सा पृथ्वी के
सामने रखना के करण चांद का दूसरा हिस्सा आज
तक पृथ्वी के किसी भी मनुष्य ने नहीं देखा
है दोस्तों चांद पर मौसम नहीं पे जाते हैं
क्योंकि परिक्रमा के दौरान चांद अपनी दुरी
पर सिर्फ 1.54 डिग्री तक तिरछा होता है जबकि पृथ्वी
23.44 डिग्री तक झुकी होती है चांद के
ध्रुव पर कई ऐसे इलाके हैं जहां कभी सूरज
की रोशनी पहुंच ही नहीं पाती है यानी
घूमते हुए अगर आप चांद के इन इलाकों में
पहुंच गए तो वहां नजारे बेहद ही भयानक
होंगे आपको जानकर हैरानी होगी
की पृथ्वी की वजह से चांद पर मौसम नहीं
बदलते
लेकिन चांद की वजह से पृथ्वी पर मौसम बदलते
हैं अब अगर आपका चांद की दुनिया का सफर
कंप्लीट हो गया हो तो आप अपनी
स्पेसक्राफ्ट में बैठ जायें और उसके बाद
धरती पर आने के लिए रावाना हो जाए दोस्तों
आपको चांद का डरावना और जानकारी से भरा
सफर कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर
जरूर बताएं ।