Why Myanmar Capital Is Empty ?
साउथ ईस्ट एशिया के दिल में बसी एक ऐसी कंट्री जिसकी कैपिटल में ना कोई रहता है ना कोई भटकता है बस भटकते हैं तो यहां पर भूत क्योंकि आज इसका नाम ghost टाउन से मशहूर हो चुका है यह शहर इतना अजीब है कि यहां विशाल 20 लेन का हाईवे बन गया है लेकिन पूरा खाली बड़े-बड़े टेंपल्स हैं मगर इनके अंदर कोई नहीं ये लंदन से चार गुना बड़ा है और न्यूयॉर्क से छह गुना बड़ा है फिर भी यहां तो ना कोई इंसान भटकता है और ना ही कोई जानवर यह है न मार्क का शहर जिसे 2005 में एक मिलिट्री लीडर ने कैपिटल बना दिया था और 48 घंटों में ही यंगोन से नेपी डो कैपिटल शिफ्ट करने का ऑर्डर दिया था लेकिन सवाल ये आता है कि क्यों नेपी डो को म्यानमार का कैपिटल बनाया आज ये कैपिटल ghose टाउन बन चुका है और म्यानमार में क्यों अक्सर मिलिट्री कॉप होता रहता है चलिए जानते हैं आज की इस वीडियो में म्यानमार एक ऐसा देश है जिसकी पॉपुलेशन 50 मिलियन से ज्यादा है लेकिन फिर भी नेबिडो में इनमें से कोई भी लोग नहीं रहते हैं 1989 से पहले म्यानमार को बर्मा के नाम से भी जाना जाता था लेकिन कैपिटल का चेंज होना और बर्मा का नाम म्यानमार करने में एक चीज कॉमन है वो है मिलिट्री डिक्टेटरशिप ये दोनों काम यहां के मिलिट्री कॉप की वजह से हुए और यही वजह है कि आज म्यानमार की हालत बद से बदतर हो रहे हैं 1962 में सबसे पहले यहां मिलिट्री कॉप देखने को मिला और सत्ता में आते ही इन्होंने सबसे पहले देश का नाम चेंज कर दिया लेकिन वहां के लोग इस डिसीजन से काफी नाखुश थे अगर नि पिडो को सेटेलाइट इमेज से देखेंगे तो यह 7000 square किलोमीटर तक फैला हुआ है और जैसे कि पहले बताया था कि यह इतना बड़ा है कि दुनिया के मशहूर शहर लंदन और न्यूयॉर्क भी इसके सामने बहुत ही छोटे लगते हैं वहीं चीन का लाजवाब कहे जाने वाला शहर शंगाई जो कि इससे हल्का सा छोटा है फिर भी इन दोनों में एक मेजर डिफरेंस है शंगाई की पॉपुलेशन जहां 26 मिलियन है वहीं नेबिडो की इससे लाख गुना कम पॉपुलेशन है जहां सीटी लगती है जो कि जॉम्बी फिल्म में एक खाली शहर जैसा लगता है यहां की रोड इतनी चौड़ी और लंबी है कि कई तो 20-20 लेंस तक बनी हुई है मगर एकदम वीरान यहां कोई व्हीकल भी चलता हुआ नहीं दिखता एक 8 बार कोई ट्रक जरूर गुजरता दिख जाता है मगर इन 20 लेन में वो अकेले ही चमकता हुआ दिखता है यहां के पार्क्स और गार्डेंस का भी सेम ही हाल है यहां तक कि मॉल्स गोल्फ कोर्स और जू एकदम सब कुछ खाली और वीरान पड़े हुए हैं इस कैपिटल का फेमस लैंडमार्क उपसती पगोड़ा भी लोगों से अभी तक अंजाने यहां लाखों की कैपेसिटी हैंडल करने वाला एयरपोर्ट भी बनाया गया था लेकिन बिजी डेज में यहां सिर्फ 100 ही लोग देखने को मिलते हैं टूरिस्ट के लिए कई लग्जरी होटल्स भी बनाए गए लेकिन इनके पूल्स एकदम रेगिस्तान जैसे वरान हैं और कुछ तो ऐसे कमरे भी हैं जो अब तक खोले भी नहीं गई और जो लोग यहां दिखेंगे या तो वो माली होंगे या तो सड़क साफ करते कर्मचारी इसी वजह से आज ने पीडो को होस्ट टाउन के नाम से पुकारा जाता है और यहां यह तक देखा गया है कि कुछ शॉप्स ऐसी भी हैं जिसमें वर्कर्स काम कर रहे हैं मगर कस्टमर्स के नाम पर पूरे दिन और पूरे साल कोई इंसान तक नहीं भटकता जो इसे एक बिजारी सिटी बना देता है लेकिन यहां पर एक ऐसी जगह भी है जहां थोड़े हल्के-फुल्के लोग देखने को मिल सकते हैं और वो है यहां का पार्लियामेंट जो कि एक अलग से सिक्योर्ड एरिया में बना हुआ है इस एरिया में सारी बिल्डिंग्स को आइडेंट कल बनाया गया है और इसके चारों तरफ फेंसिंग और कई सारे जवान तैनात हैं माना जाता है कि इस पार्लियामेंट के नीचे कई सारी टनल्स बनाई गई हैं जो कि नॉर्थ कोरिया से लाए गए एक्सपर्ट्स द्वारा बनाई गई थी इस के अलावा इस पार्लियामेंट के पास ही एक मिनिस्ट्री जन मिलिट्री जोन होटेल जोन डिप्लोमेटिक जोन और रेजिडेंशियल जोन भी बनाया गया है रेजिडेंशियल बिल्डिंग्स पे अलग-अलग कलर्स किए गए हैं जिससे यह पता लग सके कि कौन पर्सन कौन सी जॉब करता है ब्लू कलर मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ वर्कर्स के लिए की गई है ग्रीन कलर मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर के लिए है और हां ये सब भी खाली पड़े हैं ज्यादातर जोनस काफी ज्यादा क्लम्सी और डिस ऑर्गेनाइज से देखते हैं और ऐसा लगता है कि बिना किसी लॉजिक और बिना किसी ऑर्डर में बस इनको ठोस दिया ग नेपो एक ऐसा शहर बनाया गया है जिसका कोई भी एक सेंटर पॉइंट नहीं दिखता और ऐसा लगता है कि जैसे किसी भूल भुलैया में कोई खोसा गया हो इधर की रोड्स भी इस कदर बनाई गई है कि इनको नेविगेट करना भी बहुत मुश्किल है कई जगह 16 या 20 लेंस के हाईवेज हैं जो कभी भी जाके एकदम छोटी रोड से मिल जाते हैं तो कई जगह तो हाईवेज के बीच में से ही अलग से एक छोटी रोड जा रही है जिसकी वजह से काफी ज्यादा एक्सीडेंट्स यहां पर देखने को मिलते हैं इन सबके अलावा यहां कई सारी अजीब चीज देखने को मिलती हैं जैसे कि की उप तसती पगोड़ा जो कि एकदम सेम टू सेम रेप्ट का है पुरानी कैपिटल यंगोन में सिचुएटेड एक बुद्धिस्ट मंदिर का लेकिन जब यह मंदिर बन के तैयार हुआ इसके अंदर किसी भी मंस को जाना अलाउड नहीं था इधर बस पॉलिटिशियन और मिलिट्री के लोगों का जाना अलाउड था जहां भी इस न्यू कैपिटल में चले जाओ आपको कुछ ना कुछ स्ट्रेंज देखने को जरूर मिल जाएगा लेकिन जब यहां किसी को रखना ही नहीं था तो आखिर यह बनाया ही क्यों गया था यह सब स्टार्ट किया उस मिलिट्री डिक्टेटरशिप ने जिसने बर्मा का नाम मन मार करा था डिक्टेटरशिप इसलिए क्योंकि इनके रेजीम में कई लोगों को मारा गया और कई लोगों को वायलेंस के थ्रू रास्ते से हटा दिया गया था 1962 में जब पहली बार यहां मिलिट्री ने पावर संभाली उस वक्त कई स्टूडेंट्स ने यंगोन यूनिवर्सिटी में इस रेजीम के खिलाफ प्रोटेस्ट किए लेकिन ये रेजीम को पसंद नहीं आया और उसने एक पूरी बटालियन यहां पर भेज दी इसके बाद स्टूडेंट्स और आर्मी के बीच लड़ाई हुई और कई सारे स्टूडेंट्स मारे गए और आलम तो यह था कि कितनी मौतें हुई इसका कोई हिसाब किताब नहीं था इसके अलावा इन्होंने पूरे देश में इलेक्शन प्रोसेस को ही रोक दिया मगर 1990 में जब लोग बहुत ज्यादा ही तंग आ गए थे तब जाके इलेक्शन करवाए जाते हैं इनका मानना था कि जीत इनकी ही होगी लेकिन हुआ इसके उल्टा और 492 सीट्स में से मिलिट्री खाली 10 सीट्स ही जीत पाई यह हार मिलिट्री से झेली नहीं गई और पूरे देश में फिर से इलेक्शन रोक दिए गए और अपोजिशन लीडर्स को जेल में डाल दिया गया यह ऐसी रेजीम बनी जो डिक्टेटरशिप ब्रूटल और वायलेंट थी एगजैक्टली किसी को नहीं पता था कि इस सिटी को कब बनाना शुरू किया था क्योंकि यह सब कुछ लोगों के पीठ के पीछे हो रहा था लेकिन सैटेलाइट इमेजेस से अनुमान लगाया गया कहीं 2002 में इसके कंस्ट्रक्शन की शुरुआत हो गई थी जिसके बाद लोगों के सामने इसको 3 साल बाद खोला गया है और इस सिटी का नाम ने पीटो रखा गया जिसका मतलब होता है होम ऑफ द किंग्स इस सिटी को बनाने में कम से कम 4 बिलियन डॉलर लग गए थे जो कि वहां के लोगों की इनकम से भी कई गुना ज्यादा अमाउंट था उस वक्त यहां की जीडीपी 10 बिलियन डॉलर से भी नीचे थी बल्कि ये पैसा वहां के लोगों और उनको अच्छी सुविधाएं देने में लग सकता था म्यानमार में काफी जगह ऐसी है जहां माल न्यूट्रिशन के केसेस बहुत ज्यादा हैं म्यानमार में एजुकेशन और हेल्थ केयर की भी खस्ता हालत है जिसके कारण वहां की पॉपुलेशन काफी ज्यादा सफर करती है जो पैसा इस कैपिटल में बनाने में लग गया वो इन जगह पे लग सकता था जिससे वहां के लोग आगे बढ़ पाते लेकिन मिलिट्री डिक्टेटरशिप को इन लोगों से कुछ फर्क नहीं पड़ता ऊपर से जिस सिटी में पैसा लगाया गया आज वह किसी काम की भी नहीं रही और अब एक घोस्ट सिटी बन चुकी है यहां बात पैसे लगाने की नहीं है बल्कि पैसा वेस्ट करने की है जहां आपकी पॉपुलेशन हर दिन सरवाइव करने के लिए कहीं से खाना जुटाने के लिए मजबूर है वहां पर आप ऐसी जगह पैसा लगा रहे हैं जो कि एक खंडरई हैरानी होगी कि यह सिटी जान के एक घोस्ट सिटी बनाई गई थी नेपो से पहले ये अंगोन म्यानमार की कैपिटल हुआ करती थी यह शहर 7 मिलियन लोगों का घर हुआ करता था और इसे ही म्यानमार का नेशनल कैपिटल भी कहा जाता था 150 साल बाद वहां के डिक्टेटर ने यंगर को कैपिटल से शिफ्ट करने का ऑर्डर दिया क्योंकि उनका मानना था कि यह शहर उनके फ्यूचर पर्पसस के लिए फिट नहीं है क्योंकि यंगोन की पॉपुलेशन बहुत ज्यादा थी और धीरे-धीरे और ज्यादा ओवरक्राउडेड शहर बनता जा रहा था इसलिए रेजीम ने सोचा कि भाई एक नया शहर बसाया जाए जहां पर ज्यादा स्पेस हो और एकदम अर्बन लुकिंग शहर जैसा दिखे लेकिन यह इसका असली रीजन नहीं था एक्सपर्ट्स का कहना है कि रेजीम यंगोन की बढ़ती पॉपुलेशन से काफी ज्यादा डरती थी और कल को अगर इतने सारे लोगों ने एक साथ रिवॉल्ट कर दिया तो उनको अपने आप को डिफेंड करना बहुत मुश्किल हो जाएगा क्योंकि पहले भी यंगोन यूनिवर्सिटी में वो ये देख चुके थे और इस बार वो नहीं चाहते थे कि कोई रिस्क ले इसके अलावा मिलिट्री को डर था कहीं बे ऑफ बंगाल के थ्रू अमेरिका उन पर अटैक ना करती क्योंकि यंगोन बे ऑफ बंगाल से काफी नजदीक पड़ता है उनको ये डर इसलिए भी था क्योंकि अमरिका मिलिट्री लीडरशिप को सही नहीं मानता था और वो बर्मा का नाम बदले जाने से बिल्कुल खुश नहीं था मिलिट्री रेजीम को यह डर भी था कि कहीं उनके पड़ोसी वियतनाम की ही तरह अमेरिका उन पर अटैक ना कर दे और इसलिए वो यंगोन से भागना चाहते थे इसलिए मिलिट्री ने एक ऐसी सेफ जगह चूज की जो समुंद्र और लोगों से बहुत दूर हो ताकि कोई भी रिवॉल्ट या प्रोटेस्ट उन तक नहीं आ पाए और कोई भी दूसरी कंट्री अटैक भी करना चाहे तो उनके पास अच्छा खासा टाइम बच सके काउंटर अटैक करने के लिए उन्होंने ये सिटी दो पहाड़ों के बीच में बनाई जिन्हें बेगो योमा और शेन योमा के नाम से जाना जाता है यह मिलिट्री के लिए एक नेचुरल डिफेंस बॉर्डर्स का काम करते हैं और पार्लियामेंट को भी फेंसेस और मिलिट्री से कवर किया गया है जिससे सिक्योरिटी और ज्यादा टाइट हो जाती है इसलिए यहां टनल्स और ऐसी रिवर्स भी बनाई गई हैं ताकि कोई भी इस पार्लियामेंट तक घुस ना सके और अगर घुस भी जाए तो टनल भागने में हेल्प कर सकते हैं कई लोगों का मानना है कि इतने बड़े हाईवेज भी जो बनाए गए हैं वो एक तरह की एयर स्ट्रिप ही है ताकि इमरजेंसी के वक्त प्लेन में बैठ के वहां से भागा जा सके इसलिए ही मिलिट्री ने इसे घोस्ट टाउन बसाने के लिए इतना पैसा खर्च किया है ये सिटी खाली एक कैपिटल के तौर पर नहीं बनाई गई बल्कि एक मिलिट्री बेस के तौर पर बनाई गई इसलिए ही यहां के रोड्स को उल्टा सीधा बनाया गया है ताकि नेविगेट करने में दिक्कत आए और रोड्स को चौड़ा बनाया गया ताकि प्रोटेस्टर्स ना तो रोड ब्लॉक कर सके और ना ही कुछ छुप पाए इसका कैपिटल शिफ्ट करने का एक और रीजन बताया जाता है जो कि काफी बेजार है थैन शू जो कि वहां के अभी के रूलिंग मिलिट्री गवर्नमेंट के हेड हैं उनको किसी एस्ट्रोलॉजर ने बोला था कि उन परे कभी भी एक अटैक हो सकता है और अगर वो यंगोन में रहे तो उनकी जान को खतरा भी है और उन्होंने तभी के तभी कैपिटल को मूव करने का फैसला लिया लेकिन म्यानमार में इतने ज्यादा मिलिट्री कॉप क्यों देखे जाते हैं म्यानमार जिसे वर्मा कहा जाता था व जनवरी 1948 में आजाद होता है और आजादी के 14 साल बाद ही म्यानमार 1942 में मिलिट्री रूल के अंडर आ जाता है लेकिन उस वक्त म्यानमार के कुछ और हालत थे और व उस वक्त तक एशिया की सबसे रिचेस्ट कंट्रीज में से एक था अप्रैल 1962 में मिलिट्री अपने हाथों में सारी चीजें ले लेती है और सबसे बुरी चीज जो म्यानमार इकॉनमी के साथ उस वक्त हुई वो यह कि दूसरी कंट्रीज के लिए म्यानमार ने अपनी इकॉनमी क्लोज कर दी फिर धीरे-धीरे वहां सिविल वॉर और मिलिट्री डिक्टेटरशिप लगातार दिखती रही और इसलिए आज म्यानमार अपने रीजन में सबसे पुरे कंट्रीज में से एक है 1962 में चालू हुआ मिलिट्री रूल आने वाले 50 साल तक चला और उस वक्त ओंग सांसू की जो बेटी थी वर्मा के इंडिपेंडेंस हीरो और फादर ऑफ नेशन कहे जाने वाले ओंग सान की जो 1981 में नोबेल पीस प्राइज से नवाजी जाती हैं वो उस वक्त मिलिट्री रूल के चलते हाउस अरेस्ट पर रखी गई थी फिर फाइनली 2008 में म्यानमार का कॉन्स्टिट्यूशन लिखा जाता है और 2010 से म्यानमार मिलिट्री डिक्टेटरशिप से पार्शल डेमोक्रेसी की तरफ बढ़ने लगता है यह सब सिर्फ इसलिए हो रहा था क्योंकि वेस्टर्न कंट्रीज लगातार म्यानमार के ऊपर काफी सारे सैंक्शंस लगा रही थी और म्यानमार मिलिट्री के पास अपनी इकॉनमी खोलने के अलावा कोई और ऑप्शन नहीं था पर 2010 से 2021 तक म्यानमार ने एक लंबा रास्ता चला ऐसा चाहे वो 2015 में नेशन लीग फॉर डेमोक्रेसी एनएलडी का इलेक्शन जीतना हो या फिर आंग सान सूची का 2016 से 2021 तक म्यानमार का काउंसलर और फॉरेन मिनिस्टर के पद पर रहना हो लेकिन कंट बनते वक्त वहां के लोगों से कुछ गलती हो गई थी जिसका खामियाजा आज तक उनको भुगतना पड़ रहा है म्यानमार के पार्लियामेंट में टोटल सीट्स में से एक चौथाई सीट सेना को दी जाती है और जो भी इंपॉर्टेंट मिनिस्ट्री होती है उनको चलाने का काम भी मिलिट्री को ही दिया जाता है जिसकी वजह से वोह काफी पावरफुल बन जाती है इसलिए ही 2021 में वहां वापस मिलिट्री कॉप होता है और आज वहां हालत बहुत ज्यादा खराब चल रहे हैं और चारों ओर आज वहां सिविल वॉर छिड़ा हुआ है और मिलिट्री रेजीम अपना सेफ नेपो में बिना कोई प्रोटेस्ट और रिवोल्ट के बैठी हुई है तो दोस्तों यह है रीजन म्यानमार की कैपिटल की खाली होने का आपको क्या लगता है यह गौन फिर से.म्यानमारकी कैपिटल बन पाएगी कमेंट में जरूर बताएं तब तक के लिए हम आपसे विदा लेते हैं जल्द हाजिर होंगे एक नए इंटरेस्टिंग टॉपिक के साथ अगर ये वीडियो पसंद आया तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर कर दें और हां वीडियो को लाइक करना ना भूलें और अगर आपने हमारे चैनल को अभी तक सब्सक्राइब नहीं किया है तो वो भी कर दें साथ ही बेल आइकॉन प्रेस करना बिल्कुल ना भूलें ताकि हमारी वीडियो आप तक जल्द से जल्द पहुंच सकेTranscript of क्यों म्यांमार की राजधानी इतनी सुनसान है ?
How to earn money Facebook page, profile, reels, bonus and videos..